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सभी जीवन में कभी न कभी 'पता नहीं’ के दौर से गुजरते हैं। इस स्थिति को नियंतित्रकरने, इससे बाहर निकलने और ऐसे भ्रम को खत्म करने का एक ही तरीका है- खुद को वक्तदेना। रोज शांत माहौल में कुछ
समय अकेले बैठें, अपने और अपनी जिंदगी के बारे में सोचें।
ये है वो 4 बातें
1) जीने की प्रणाली विकसित करें
अपनी जीवनशैली यानी जीने की प्रणाली विकसित करें। जीवन में सुव्यवस्थित होने का बड़ामहत्व है। जीवनशैली सुव्यवस्थित होने से आपके और आपसे जुड़े लोगों की जिंदगी आसानहो जाती है। इसे कायम रखने के लिए स्व-अनुशासन जरूरी है। उदाहरण के लिए बड़े नेताओंको देखें- वे अपनी जीवनशैली न सिर्फ बनाते हैं, बल्कि उस पर अनुसरण भी करते हैं।
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उद्देश्य तय करें
जीवन का उद्देश्य तय करें। एक व्यक्ति ने भगवान से पूछा कि मनुष्य को देखकर आपकोसबसे अधिक हैरानी क्या होती है? जवाब मिला, 'मनुष्य धन कमाने के लिए अपना स्वास्थ्यगंवा देता है और फिर इसे दोबारा हासिल करने के लिए धन गंवा देता है। वह भविष्य कीचिंता करते-करते अपना वर्तमान ही भूल जाता है। इस तरह वे न तो ठीक से वर्तमान कोजीते हैं और न भविष्य को। वह ऐसे जीतता है जैसे कभी मरेंगे ही नहीं और ऐसे मरता है जैसेकभी जिया ही नहीं।’ इसलिए बिना उद्देश्य के जीकर अपना जीवन व्यर्थ न गंवाएं।
3) लक्ष्यों की सूची बनाएं
अपने लक्ष्यों की सूची बनाएं। जीवन नैराश्य में न गंवाएं। हमेशा सक्रिय रहें। लक्ष्य परनिगाह रखें। इन्हें हासिल करने के लिए योजना बनाएं ताकि अपने सपनों को हकीकत मेंबदल सकें। योजना पर अमल करें। यह जान लें कि सिर्फ लक्ष्य तय करना काफी नहीं है।कोई भी लक्ष्य तब तक हासिल नहीं कर सकता जब तक इसके लिए उचित योजना बनाकरउस पर काम न किया जाए।
अपने शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक का मूल्यांकन करें। ईश्वर ने आपको वह सब कुछदिया है जो किसी दूसरे को दिया है। आपका भविष्य आपके हाथ में है। आपको बस अपनेसामथ्र्य का इस्तेमाल करना है। योजना बनाकर रोक कसरत करें और तंदुरुस्त रहें। बुरीआदतें पालकर अपने शरीर को नुकसान न पहुंचाएं। दिलोदिमाग में बुरे विचार न आने दें।स्वस्थ दिमाग आपको जितने लाभ दिला सकता है और कोई नहीं दिला सकता। यदि शरीरऔर दिमाग स्वस्थ और संतुलित हैं तो आत्मा भी शुद्ध रहेगी। उसे कोई दूषित नहीं करसकता।
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